पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Shamku - Shtheevana) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Shraavana, Shree, Shreedaamaa, Shreedhara, Shreenivaasa, Shreemati, Shrutadeva etc. are given here. श्रावण अग्नि १६२(श्रावणीय उपाकर्म), पद्म ६.८६(श्रावण में पवित्रारोपण), भविष्य ३.४.८.२०(श्रावण मास के सूर्य का माहात्म्य), ३.४.८.१२७(केदार तीर्थ में महाश्रावणी पूर्णिमा के विशेष फल का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.५.११५, २.२६(श्रावणी उत्सव, यज्ञोपवीत संस्कार ), shraavana/ shravana श्रावस्ती कूर्म १.२०.१९(युवनाश्व - पुत्र व नगरी), वा.रामायण ७.१०८.५(लव द्वारा शासित नगरी ), कथासरित् ३.१.६३, ६.४.२३, ६.५.४०, ६.७.१३३, १६.१.२४ shraavastee/ shravasti
श्रिया लक्ष्मीनारायण १.३०६
श्री अग्नि २५.१३(श्री की आराधना हेतु बीज मन्त्र), ६२(श्रीसूक्त), ११३.४(गौरी द्वारा श्री का रूप धारण करके तप, हरि से वर प्राप्ति), ३०८.१(श्री मन्त्र के न्यास का वर्णन), ३१३.१७(श्री मन्त्र का कथन), कूर्म १.१(श्री/माया के रहस्य ज्ञान हेतु इन्द्रद्युम्न द्वारा कूर्म से कूर्म पुराण का श्रवण), २.३७.१३(श्रीपर्वत तीर्थ का माहात्म्य), गरुड ३.६.४(श्री द्वारा हरि-स्तुति), गर्ग ५.१७.३०, नारद १.४३.७२(नित्य क्रोध से श्री की रक्षा का निर्देश), १.५६.२०७(श्रीवृक्ष की चित्रा नक्षत्र से उत्पत्ति), १.६६.१२४(विघ्नराज की शक्ति श्री का उल्लेख), १.८४.५४(महिषासुर मर्दन हेतु श्री की उत्पत्ति, मन्त्र विधान), १.११४.३श्रीपञ्चमी, पद्म ३.२६, ६.२२६.२३(ओंकार में उकार द्वारा श्री के निरूपण का कथन), ब्रह्मवैवर्त्त ३.२२.११(श्री से कङ्काल की रक्षा की प्रार्थना), ब्रह्माण्ड ४.३२.३४(इष, ऊर्ज), भविष्य १.५७.१५(श्री हेतु पद्म बलि का उल्लेख), ४.३७(श्री पञ्चमी व्रत में अङ्गन्यास, देवों व असुरों से श्री का तिरोभवन, समुद्र मन्थन से श्री की प्राप्ति), भागवत ४.१.४३, ११.१९.४१, मत्स्य २६१.४०(श्री देवी की प्रतिमा का स्वरूप), लिङ्ग २.५, वराह ७९(श्रीवन का वर्णन), विष्णु १.९.११७(राज्य प्राप्ति के पश्चात् इन्द्र द्वारा श्री की स्तुति), विष्णुधर्मोत्तर २.१२८(श्रीसूक्त का माहात्म्य), ३.२११(श्री लब्धि व्रत), स्कन्द ४.१.५(अगस्त्य द्वारा श्री की स्तुति), ४.२.७२.५८(श्रीदेवी द्वारा दंशनावली की रक्षा), ५.३.१८१.६०, ५.३.१९४.२५, हरिवंश २.४१.२८(श्री देवी , बलराम को समर्पण), महाभारत ११, ८२, शान्ति ३२९.११(श्री की मत्सर से रक्षा का निर्देश), योगवासिष्ठ १.१३(राम द्वारा भोग लक्ष्मी की निन्दा), लक्ष्मीनारायण १.३८५.४२(श्री का कार्य), १.४११.९२(मार्कण्डेय - कन्या श्री द्वारा तप से अम्बरीष - कन्या श्रीमती बनकर विष्णु को पति रूप में प्राप्त करने का वृत्तान्त), २.८१.४७(भीमा नदी के श्री रूप का उल्लेख), २.२९७.८५, ३.२१, ३.१०२.१३, ३.१०२.२४(गायों द्वारा चञ्चला लक्ष्मी को शकृत में स्थान देने का वृत्तान्त ), ३.१०७.२श्रीचिह्न, ३.१६४.७१, ४.१०१.६५, कथासरित् १.७.६०, ४.३.४९, द्र. उद्यमश्री, जयश्री, नरश्री, वेदश्री shree/ shri
श्रीकण्ठ नारद १.६६.१०६(श्रीकण्ठ की शक्ति पूर्णोदर्या का उल्लेख), ब्रह्माण्ड ३.४.४४.४९(लिपि न्यास के प्रसंग में एक व्यञ्जन के देवता), लिङ्ग १.५०.१७(श्रीकण्ठ का मर्यादा पर्वत पर वास), वामन ६३.६७, ९०.२६(यमुना तट पर विष्णु का श्रीकण्ठ नाम),स्कन्द ४.२.९७.१०८(श्रीकण्ठ कुण्ड का संक्षिप्त माहात्म्य ), कथासरित् ३.६.३८, ७.६.४२, ८.१.४७, १२.७.११६, shreekantha/ shrikantha
श्रीकपाल स्कन्द ५.३.२१४
श्रीकर शिव ४.१७(श्रीकर गोप बालक का महाकालपूजा से कल्याण), स्कन्द ३.३.५(श्रीकर गोप बालक को शिव पूजा से ऐश्वर्य प्राप्ति ) shreekara/ shrikara
श्रीकुण्डल पद्म ३.३०(हेमकुण्डल - पुत्र, विकुण्डल भ्राता द्वारा पुण्य दान से नरक से मुक्ति )
श्रीखण्ड स्कन्द ५.३.९०.९९
श्रीगर्भ कथासरित् ७.३.९९
श्रीचक्र लक्ष्मीनारायण ३.१०४.३६
श्रीतार भविष्य ३.३.३२.१८२(पृथ्वीराज - सेनानी, सूर्यधर से युद्ध),
श्रीदण्डी अग्नि २९९
श्रीदत्त भविष्य ३.२.४.४२(सिन्धुगुप्त व प्रभावती - पुत्र, जयलक्ष्मी - पति, जारासक्त पत्नी द्वारा पति पर नासाकर्तन के मिथ्या दोष का आरोपण), कथासरित् २.२.१४,
श्रीदर्शन कथासरित् १२.६.२१, १२.६.६७
श्रीदामा गर्ग २.२३(कृष्ण द्वारा वध पर शङ्खचूड की ज्योति का श्रीदामा में लीन होना), २.२६.४३(श्रीदामा द्वारा राधा को शाप - प्रतिशाप, सुधन - पुत्र शङ्खचूड बनना), ३.९.१९(श्रीदामा आदि पार्षदों का कृष्ण की भुजा द्वय से प्राकट्य), ब्रह्मवैवर्त्त ४१, ४.२(श्रीदामा की राधा से कलह), ४५, वामन ८२(श्रीदामा द्वारा वासुदेव के श्रीवत्स की कामना, सुदर्शन चक्र द्वारा वध ) shreedaamaa/ shridamaa
श्रीधर नारद १.६६.८८(श्रीधर की शक्ति मेधा का उल्लेख), पद्म ४.५(हेमप्रभावती - पति, व्यास से पुत्रहीनता के कारण की पृच्छा, पूर्व जन्म का वृत्तान्त), ६.१२०.६६(श्रीधर से सम्बन्धित शालग्राम शिला के लक्षणों का कथन), भविष्य ३.४.८(वेदशर्मा - पुत्र, सूर्य का अंश), ३.४.१९(चोरों द्वारा शिव पूजक ब्राह्मण श्रीधर की हत्या, राम द्वारा पुन: सञ्जीवन), वराह १.२७(श्रीधर से कण्ठ की रक्षा की प्रार्थना), स्कन्द २.२.३०.८०(श्रीधर से वायव्य दिशा की रक्षा की प्रार्थना), ४.२.६१.२२७(श्रीधर मूर्ति के लक्षण), ५.३.१४९.१०, लक्ष्मीनारायण १.२५५.७(श्रावण शुक्ल एकादशी को श्रीधर की पूजा), १.२६५.१०(श्रीधर की पत्नी कान्तिमती का उल्लेख ), कथासरित् १०.२.४६, १०.७.६, shreedhara/ shridhara
श्रीनिवास गरुड ३.२३.३३(जाम्बवती द्वारा शेषाचल पर श्रीनिवास का स्मरण, श्रीनिवास के विभिन्न अंगों में जल, सत्य आदि लोकों की भावना), ३.२४.८(श्रीनिवास के संसार में दृश्यमान विभिन्न रूप), ३.२९.५९(दुग्धान्न भोगकाल में श्रीनिवास हरि के ध्यान का निर्देश), वामन ९०.२५(प्लक्षावतरण में विष्णु का श्रीनिवास नाम?), स्कन्द २.१.४, लक्ष्मीनारायण १.३९९, २.७९.३१(बालकृष्ण के दक्षावर्त में श्रीनिवास नामक भ्रमर विराजित होने का उल्लेख ) shreenivaasa/ shrinivasa
श्रीपति भविष्य ३.३.३२.१८२(पृथ्वीराज - सेनानी, प्रवीर से युद्ध), ३.४.२२(श्रीपति का कवि सूरदास रूप में जन्म), भागवत १०.६.२६(श्रीपति से आसीन स्थिति में रक्षा की प्रार्थना), वामन ९०.१८(नर्मदा में विष्णु का श्रीपति नाम से वास), स्कन्द ५.३.१९२(श्रीपति की उत्पत्ति, माहात्म्य, नर - नारायण तप में विघ्न हेतु काम व अप्सराओं का आगमन, श्रीपति द्वारा नर - नारायण की स्तुति, विराट् रूप का दर्शन ) shreepati/ shripati
श्रीपर्वत कथासरित् १२.१.६६
श्रीपुर पद्म २.४७, ब्रह्माण्ड ३.४.३१.१(मय द्वारा ललिता देवी हेतु श्रीपुर का निर्माण, विस्तृत वर्णन ) shreepura/ shripura
श्रीफल ब्रह्मवैवर्त्त ३.४.४९(स्तन सौन्दर्य हेतु श्रीफल दान का निर्देश ), ३.४.६३, स्कन्द २.२.४४.७, द्र. बिल्व shreephala/shreefala / shrifala
श्रीबिम्ब कथासरित् २.२.८८
श्रीभानु गर्ग ७.४२
श्रीमघ लक्ष्मीनारायण २.७२.३९
श्रीमती लिङ्ग २.५(अम्बरीष - कन्या श्रीमती द्वारा स्वयंवर में श्रीहरि का वरण, वानरमुख नारद व पर्वत का तिरस्कार), शिव २.१.३(श्रीमती द्वारा स्वयंवर में नारद का अपमान, विष्णु का वरण ), योगवासिष्ठ ६.१.७९.२१, लक्ष्मीनारायण १.४११ shreematee/ shrimati
श्रीमाता स्कन्द ३.२.१६+ (श्रीमाता मातृका का माहात्म्य), ३.२.३२(श्रीमाता द्वारा राम से लोहासुर - प्रदत्त दुःख का निवेदन), ७.३.२२(श्रीमाता का माहात्म्य, देवों द्वारा कलिङ्ग दानव पर विजय हेतु देवी की आराधना ) shreemaataa/ shrimataa
श्रीमान् लक्ष्मीनारायण १.३५५, ३.१७०.५०श्रीमानस
श्रीमुख स्कन्द ७.१.१६(धूम्र राक्षस के पाताल में विवर का मुख, मातृकाओं द्वारा रक्षा),
श्रीमूलदेव कथासरित् १२.२२.२१
श्रीरङ्ग पद्म ५.१०४
श्रीवत्स अग्नि २५.१४(श्रीवत्स पूजा हेतु बीज मन्त्र), भागवत ६.८.२२(श्रीवत्स धारी विष्णु से अपर रात्र में रक्षा की प्रार्थना), वामन ८२.१८(श्रीदामा असुर की विष्णु के श्रीवत्स हरण की इच्छा), ९०.१८(उदाराङ्ग तीर्थ में विष्णु का श्रीवत्साङ्क नाम से वास), विष्णु १.२२.६९(श्रीवत्स का प्रतीकार्थ - अनन्त का रूप), लक्ष्मीनारायण १.४४१.९३(श्रीवत्स के कल्पवृक्ष बनने का उल्लेख), २.१४०.२४(श्रीवत्स प्रासाद के लक्षण), २.१७६.१७(ज्योतिष में योग ), सीतोपनिषद ३५ (योगशक्तिरूप श्रीवत्स के मूलतः इच्छा शक्ति होने का कथन) shreevatsa/ shrivatsa
श्रीवर्धन स्कन्द ६.२९(सुप्रभ - शिष्य, गुरु पर सर्प डालने वाले विप्र को शाप),
श्रीविद्या शिव ३.१६
श्रीवृक्ष पद्म १.२८(श्रीवृक्ष के शंकर को तुष्टिप्रद होने का उल्लेख), भविष्य ४.६०
श्रीशील लक्ष्मीनारायण ४.६
श्रीशैल पद्म ६.१९(श्रीपर्वत का माहात्म्य), मत्स्य १३, १८८, स्कन्द १.१.७.३३(श्रीशैल में शिखरेश्वर लिङ्ग की स्थिति का उल्लेख), ५.३.१९८.६९, ६.१०९(श्रीपर्वत तीर्थ में त्रिपुरान्तक लिङ्ग की स्थिति), ७.१.१०.६(श्रीशैल तीर्थ का वर्गीकरण – जल), लक्ष्मीनारायण २.११७.७७(श्रीशैल पर्वत पर सूकर/यज्ञवराह का वास ) shreeshaila/ shrishaila
श्रीसूक्त अग्नि ६२.४(लक्ष्मी प्रतिष्ठा विधि के अन्तर्गत श्रीसूक्त का न्यास), २६३.१(श्रीसूक्त का महत्त्व, चारों वेदों के श्रीसू्क्तों का उल्लेख), पद्म ६.२२७.२९(श्रीसूक्त की आरम्भिक ऋचाओं के रूपान्तर), विष्णुधर्मोत्तर २.१२८(श्रीसूक्त का माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण १.११७.४०(श्रीसूक्त की कुछेक ऋचाओं का रूपान्तर ) shreesuukta/ shreesukta/ shreesookta/ shrisukta/ sri sukta
श्रीसेन कथासरित् १२.६.२५४
श्रुत मार्कण्डेय ५०.२६(मेधा - पुत्र), विष्णु १.७.२९, स्कन्द २.१.३७.२(श्रुत नृप के पुत्र शंख का वृत्तान्त), महाभारत वन ३१३.७४(श्रुत धनों में श्रुत के उत्तम होने का उल्लेख ), द्र. प्रतिश्रुत shruta
श्रुतकर्मा ब्रह्माण्ड २.३.५९.४९(सूर्य व छाया - पुत्र, शनि ग्रह बनना), भविष्य १.७९.२८(छाया व सूर्य - पुत्र, शनि का उपनाम ), वायु ८३.५०, shrutakarmaa
श्रुतकीर्ति अग्नि ५, पद्म ५.६७.३७(शत्रुघ्न - पत्नी), वराह १७, वा.रामायण १७३
श्रुतदेव गर्ग ७.१६, ७.२०.३२(प्रद्युम्न - सेनानी, दु:शासन से युद्ध), भागवत १०.८६(मिथिलावासी ब्राह्मण श्रुतदेव द्वारा कृष्ण के आगमन पर स्तुति, कृष्ण द्वारा उपदेश), स्कन्द २.१.१६(श्रुतदेव द्वारा हेमाङ्ग को जातिस्मरण कराना, पुण्य दान से हेमाङ्ग की गोधिका योनि से मुक्ति), २.७.६+ (श्रुतदेव के जनक गृह आगमन पर गृहगोधा की मुक्ति की कथा, छत्र दान आदि के माहात्म्य का कथन), २.७.७(श्रुतदेव द्वारा पिता मैत्र का पिशाच योनि से उद्धार ), ५.१.६३.१९७, shrutadeva
श्रुतधर कथासरित् १२.७.२४
श्रुतधि कथासरित् १२.३.३१, १२.३३.२७
श्रुतवती पद्म ५.६७.३९(वीरमणि - पत्नी )
श्रुतवर्ण वामन ५७.८१(पर्णासा नदी द्वारा कुमार को प्रदत्त गण )
श्रुतवर्धन कथासरित् ७.५.६,
श्रुतवर्मा ब्रह्माण्ड ३.४.१२.५३(भण्डासुर का मन्त्री),
श्रुतशर्मा कथासरित् ८.१.१२, ८.१.३१, ८.२.८, ८.२.८०, ८.५.१३
श्रुतश्रवा गर्ग ७.७.२३(श्रुतिश्रवा : वसुदेव - भगिनी, दमघोष - पत्नी, शिशुपाल - माता), ब्रह्माण्ड २.३.५९.४८(सूर्य व छाया - पुत्र, सावर्णि मनु बनना), भविष्य १.७९.२८(छाया व सूर्य - पुत्र, सावर्णि मनु का उपनाम ), वायु ८३५०, shrutashravaa
श्रुतसेन कथासरित् ६.७.२५
श्रुता कथासरित् १५.२.३४
श्रुतायुध वामन ५८.६७(श्रुतायुध द्वारा गदा से असुर संहार), |