पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Shamku - Shtheevana) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Shakata/chariot, Shakuna/omens, Shakuni, Shakuntalaa, Shakti/power, Shakra, Shankara, Shanku, Shankukarna etc. are given here. Esoteric aspect of Shakuntalaa
शंयु ब्रह्माण्ड ३९३८, वायु ७१.३७(बृहस्पति - पुत्र, पिता से पितरों व श्राद्ध के बारे में पृच्छा ), महाभारत अनुशासन १४.३०९, shamyu
शंस्य ब्रह्माण्ड १.२.१२.१२(आहवनीय अग्नि, पवमान - पुत्र), लक्ष्मीनारायण ३.३२.१२(गार्हपत्य अग्नि - पुत्र, आहवनीय आदि ३ पुत्रों के नाम), ३.३२.१३(शंस्य अग्नि के नदियों से उत्पन्न धिष्णि संज्ञक पुत्रों के नाम ? ) shamsya/shansya
शक वराह १२२शकाधिप
शकट गर्ग १.१४(कृष्ण द्वारा शकटासुर के उद्धार की कथा, शकटासुर के पूर्व जन्म में उत्कच होने का वृत्तान्त), ब्रह्म १.७५, १.१२०.११७(मूर्ख ब्राह्मण द्वारा उर्वशी से मिलन हेतु शकट भक्षण न करने का व्रत लेने की कथा), ब्रह्मवैवर्त्त ४.१२(कृष्ण द्वारा शकटासुर का मोक्ष), भविष्य ३.४.१८(संज्ञा विवाह प्रकरण में शकटासुर के प्रांशु से युद्ध का उल्लेख), ४.७(शकट व्रत के संदर्भ में मूलजालिक ब्राह्मण व रम्भा की कथा), भागवत १०.१.७(कृष्ण द्वारा शकट का भञ्जन), वराह २१.३५(शिव के रथ में सर्व विद्या का शकट बनना), वामन ५८.५९(शकटचक्राक्ष द्वारा मुद्गर से असुर संहार), विष्णु ५.६, स्कन्द ३.१.२६(पङ्गुता के कारण रैक्व ऋषि का वाहन, सयुग्वान उपनाम), ४.२.८७.६३(दक्ष यज्ञ में कल्प वृक्ष द्वारा शकट आदि का भरण), ५.२.६८.८(शाकटायन द्विज के शकट की ध्वनि को सुनकर पिशाच का बधिर होना आदि), ६.९६(शनि द्वारा रोहिणी शकट भञ्जन का दशरथ द्वारा वर्जन), ७.१.४९(शनि द्वारा रोहिणी शकट भञ्जन का दशरथ द्वारा वर्जन), हरिवंश २.६(कृष्ण द्वारा शकट का भञ्जन), लक्ष्मीनारायण १.४९६.५६(शनि-कृत रोहिणी शकट भेदन का दशरथ द्वारा निरोध), २.३८.१०(शकट असुर द्वारा कृष्ण को नष्ट करने की चेष्टा, कृष्ण द्वारा गुरु भार धारण कर शकट को नष्ट करना), २.२४५.६८(भक्ति रूपी शकट का कथन), २.२५३.३(देह यात्रा में शकट पर असंख्य वस्तुओं को लादकर ले जाने पर अरण्य में इन्द्रिय रूपी चोरों द्वारा हरण का कथन), ३.३५.११६(राजसूय में अच्छावाक् ऋत्विज को शकट की दक्षिणा का उल्लेख ), महाभारत द्रोण ७५.२७(जयद्रथ की रक्षा के लिए द्रोणाचार्य द्वारा शकट व्यूह के निर्माण का कथन), ८७.२२(द्रोणाचार्य द्वारा निर्मित शकट व्यूह की संरचना का वर्णन), अनुशासन ६६.४(उपानह दान से दम्य-युक्त शकट दान के फल की प्राप्ति का उल्लेख), कथासरित् १.४.१०४शकटाल, द्र. शाकटायन shakata Comments on the story Baka - kuleeraka- Rohini Shakata शकुन अग्नि २२८,२३०+ (शुभाशुभ शकुन विचार), नारद १.५६.६९८(यात्राकाल में शकुन - अपशकुन विचार), पद्म २.५६, ५.११, ५.१०४, ब्रह्मवैवर्त्त ३.३३?, ९२.३?, मत्स्य २४१(शकुन के अन्तर्गत अङ्ग स्फुरण), २४३(शुभ - अशुभ द्रव्य दर्शन), लिङ्ग २.२७.१९१(शाकुन व्यूह का वर्णन), वराह २००.३९(नरक की शकुनिका नदी का कथन), विष्णुधर्मोत्तर २.१६३(यात्रा में शकुन), २.१६४(सार्वत्रिक शकुन), स्कन्द २.४.९(पांच दीपों से शकुन का अवलोकन), ५.३.१९८.२०, ६.३६.२२(यात्रा सिद्धि हेतु शकुन सूक्त जप का निर्देश), महाभारत शान्ति १०२, वा.रामायण १७४, ३.२४(खर से युद्ध से पूर्व राम के समक्ष शकुन), ३.५७(सीता हरण पर राम द्वारा दृष्ट अपशकुन), ५.२९(अशोक वाटिका में हनुमान के आगमन पर सीता द्वारा दृष्ट शकुन), लक्ष्मीनारायण १.३५९.१०४(शकुनिका, १.४५७, १.५१७.७९(अन्धक के भावी निग्रह पर शिव द्वारा दृष्ट शकुन ), ३.१४९, ४.८१,
कथासरित् १८.५.१२४शकुनदेवी, द्र. अपशकुन shakuna
शकुनि गर्ग ७.२०.३२(शकुनि का प्रद्युम्न - सेनानी वेदबाहु से युद्ध), ७.३२.८(हिरण्याक्ष - पुत्र, प्रद्युम्न सेना द्वारा आक्रमण), ७.३३.३(शकुनि का वैजयन्त/जैत्र रथ वाहन), ७.३८+ (शकुनि का प्रद्युम्न से युद्ध, कृष्ण द्वारा रहस्योद्घाटन करने पर शकुनि के जीव रूप शुक का वध, कृष्ण द्वारा शकुनि का वध), ७.४१(कृष्ण से युद्ध में शकुनि का मरण, पुनर्जीवित होना, चक्र से वध), ७.४२.१८(मदालसा - पति, पूर्व जन्म में परावसु गन्धर्व - पुत्र), १०.२६, १०.४९.१८(कौरव - सेनानी, अनिरुद्ध - सेनानी युयुधान से युद्ध), देवीभागवत ४.२२.३७(द्वापर का अंश), पद्म १.६(हिरण्याक्ष - पुत्र), १.४६.८१, ३.३०, ३.३१.१८१(शाकुनि ऋषि व रेवती के नवग्रह समान ९ पुत्रों के नाम), ब्रह्माण्ड ३.५.४३, भविष्य ३.३.३२.४९(कलियुग में शकुनि का गजपति राजा रूप में अवतरण), मत्स्य ६, वराह २००.३९, वामन ६४.६५(इक्ष्वाकु - पुत्र, जाबालि की वृक्ष बन्धन से मुक्ति), वायु ८३.१३, हरिवंश १.११.१४, महाभारत उद्योग १६०.१२३, लक्ष्मीनारायण २.३२.३००(विनता के शकुनि ग्रह नाम से प्रथित होने का उल्लेख ), २.३२.३७, shakuni
शकुन्त स्कन्द ५.३.८३.६६, लक्ष्मीनारायण २.१६७.४३
शकुन्तला गर्ग ४.१९.५८(यमुना सहस्रनामों में से एक), ब्रह्म १.११, भागवत ९.२०(मेनका व विश्वामित्र - कन्या, कण्व द्वारा पालन, दुष्यन्त से परिणय, भरत - माता, पति द्वारा शकुन्तला की विस्मृति ) shakuntalaa Esoteric aspect of Shakuntalaa
शक्त गर्ग ७.८.१८(शिशुपाल - सेनानी, कृतवर्मा से युद्ध )
शक्ति अग्नि ७५.२७(स्रुवा व स्रुक् : शिव व शक्ति के प्रतीक), १६७ , २१०.२६ ( धेनु के शक्ति का रूप होने का उल्लेख - चन्द्रार्कऋक्षशक्तिर्या), गणेश २.६९.६(देवान्तक द्वारा गणेश पर शक्ति का प्रहार, सिद्धियों द्वारा शक्ति को रोकना), देवीभागवत १.३.३३ (२६वें द्वापर में व्यास), १.४.४७(विष्णु - प्रोक्त त्रिशक्तियों का महत्त्व), ३.६.३२(शक्ति का महत्त्व, त्रिदेवों द्वारा महासरस्वती, महालक्ष्मी व महाकाली शक्तियों की प्राप्ति), ३.७.२५(ज्ञान, क्रिया व अर्थ शक्ति से तन्मात्राओं की सृष्टि), ५.२८, १२.११(३२ नाम), ९.२.१०(शक्ति शब्द की निरुक्ति), नारद १.८४.६(निद्रा देवी के एकाक्षरी बीजमन्त्र व शक्ति ऋषि का कथन), २.२७.११५ + (राक्षस द्वारा इन्द्र की शक्ति चुराने और शक्ति से स्वयं नष्ट होने की कथा), पद्म १.३.७३(अनुग्रहसर्ग के विपर्यय, सिद्धि, शक्ति, तुष्टि चतुर्धा व्यवस्थित होने का कथन) ब्रह्माण्ड १.१.५.६१(तिर्यक् योनियों में ब्रह्मा के शक्ति द्वारा स्थित होने का उल्लेख), २.३.३२.३७(शिव शक्ति के जेता होने का उल्लेख), २.३.३९.८(परशुराम द्वारा शक्ति से निषधराज का वध), ३.४.१९.३२(कामभस्म से उत्पन्न शक्तियों के नाम), ३.४.२९(नारायणी शक्ति), ३.४.३२.२९(अम्बा, दुला आदि शक्तियां), ३.४.३५(तारा शक्ति, शृङ्गार), ३.४.४४(मातृका शक्तियां), भविष्य ३.४.२०.५(शाक्त मार्ग में ब्रह्मा के मोक्ष प्रदायक होने का उल्लेख), भागवत १०.६१.१५(महाशक्ति : कृष्ण व माद्री लक्ष्मणा के पुत्रों में से एक), मार्कण्डेय ८२.५४/८५.५४/दुर्गासप्तशती ५.९८(मृत्यु की उत्क्रान्तिदा शक्ति का उल्लेख), ८८(वैष्णवी, ब्रह्माणी आदि देवियों का आविर्भाव), १३३.७/१३०.७(शक्ति से वेद - वेदाङ्गों की शिक्षा ग्रहण का उल्लेख), लिङ्ग १.२४.११५(२५वें द्वापर में व्यास), १.६४(रुधिर राक्षस द्वारा शक्ति के भक्षण के पश्चात् शक्ति – पत्नी के गर्भ से पराशर के जन्म की कथा), १.७०.१५८(अनुग्रह सर्ग के विपर्यय, शक्ति, सिद्धि, तुष्टि से व्यवस्थित होने का कथन), वराह ९०(त्रि शक्तियों का प्राकट्य), वायु १०४.८२(शाक्त पीठ की जिह्वाग्र में स्थिति), विष्णु २.११(सूर्य शक्ति, वैष्णवी शक्ति), शिव ३.५, ३.१७(महाकालआदि १० शिवों के साथ शक्तियां), ६.१७(शिव के शक्ति से मिलन का स्वरूप), ७.१.१६(शक्ति का निर्माण), ७.१.२९(कला, षड्अध्वा आदि), ७.२.१५.१०(शांभवी, शाक्ती व मांत्री दीक्षा का कथन), स्कन्द ४.२.७२(स्कन्द द्वारा अगस्त्य को पिण्डाण्ड व ब्रह्माण्ड में शक्तियों के नामों का कथन), ५.१.३४.७०(शिव द्वारा स्कन्द को शक्तिप्रदान का उल्लेख), ५.१.३४.८५(शक्ति भेद तीर्थ : शक्ति से तारक वध के पश्चात् स्कन्द द्वारा शिप्रा नदी में शक्ति का क्षेपण), ५.३.१९८.८६(अच्छोद तीर्थ में देवी का शक्तिधारिणी नाम), ५.३.१९८.९१(शरीरधारियों में देवी की शक्ति नाम से स्थिति का उल्लेख), ६.७१(रक्त शृङ्ग के निश्चलीकरण हेतु स्कन्द द्वारा तारक वध के पश्चात् शक्ति को रक्त शृङ्ग पर स्थापित करना), ७.१.५७.४(इच्छा आदि ३ शक्तियों का कथन), ७.१.५८.१(क्रियाशक्ति का कथन – अजापाल राजा द्वारा ज्वर की सृष्टि), ७.१.५९.१(तीन शक्तियों में अजासंज्ञक ज्ञान शक्ति का कथन), हरिवंश २.११९.१६०(वासुदेव द्वारा बाणासुर द्वारा मुक्त शक्ति को ग्रहण कर उससे बाणासुर पर प्रहार), महाभारत द्रोण १८.२१(कर्ण द्वारा इन्द्र से प्राप्त शक्ति का प्रयोग घटोत्कच वध के लिए करने का उल्लेख), शल्य १७.३९, ४६.७२, योगवासिष्ठ ३.६३.२(आत्मा द्वारा विभिन्न शक्तियों को प्रकट करना), ५.३४.८३(विभिन्न शक्तियों के नाम), लक्ष्मीनारायण १.३८२.२७(विष्णु के अवष्टम्भ व लक्ष्मी के शक्ति होने का उल्लेख ), १.४१०, कथासरित् १.६.८९, २.५.१६३शक्तिमती, १८.३.३, द्र. त्रिशक्ति, वल्लभशक्ति, विष्णुशक्ति, शाक्त shakti शक्तिदेव कथासरित् ५.१.५७, ५.२.१, ५.२.२९८
शक्तिमुनि विष्णुधर्मोत्तर १.११७
शक्तियशा कथासरित् १०.३.९
शक्तिरक्षित कथासरित् १२.३.१९, १२.२६.१६०
शक्तिवर्धन मत्स्य १४५.९२(शक्तिवर्धन द्वारा तप से ऋषिता प्राप्ति का उल्लेख )
शक्तिवेग कथासरित् ५.१.११
शक्तु कथासरित् १.४.१२४
शक्त्यक्षि लक्ष्मीनारायण २.१२३.२३, २.१३०,
शक्र अग्नि ३४८.११(र वर्ण के शक्र के अर्थ में होने का उल्लेख), मत्स्य १५४.४३९(शिव-पार्वती विवाह में शक्र द्वारा शिव पर गजचर्म धारण कराने का उल्लेख), वामन ९०.३४(शक्र में विष्णु का कुन्दमाली नाम ?), स्कन्द ५.३.८३.१०४(गायों के शृंगाग्र में शक्र के वास का उल्लेख), हरिवंश २.४४.४५(शक्रदेव : शृगाल व पद्मावती - पुत्र, करवीरपुर का राजा), लक्ष्मीनारायण १.४९८.४१(शाक्रेय : पाप से गति के अवरुद्ध न होने वाले ४ विप्रों में से एक), ३.१०१.६६, ३.१६२.१७(पीतवर्ण मणियों में शक्र की स्थिति का उल्लेख ) shakra
शक्ररुद्र वराह १४०
शक्रशर्मा भविष्य ३.४.८
शक्रसख गर्ग ७.४७(कुबेर के वन का अधिपति?, प्रद्युम्न सेनानियों सारण, साम्ब व गद से युद्ध, पराजय, प्रद्युम्न को भेंट )
शङ्कर देवीभागवत ५.८.६२(शङ्कर के तेज से देवी के मुख कमल का निर्माण), ७.३८(शाङ्करी देवी की श्रीशैल में स्थिति), पद्म ४२०, ६९, ब्रह्मवैवर्त्त १.३(शङ्कर की कृष्ण के पार्श्व से उत्पत्ति), ब्रह्माण्ड २१३, ३.४.११(शङ्कर द्वारा काम को भस्म करना), भविष्य ३४१०, विष्णुधर्मोत्तर १.५२(शङ्कर द्वारा ध्येय देव),स्कन्द ३.१.४८(पाण्ड~य देश के नृप शङ्कर द्वारा शाकल्य मुनि व मुनि - पत्नी की हत्या से ब्रह्महत्या की प्राप्ति, रामेश्वर लिङ्ग के सेवन से मुक्ति), ३२२०, ३.३.१२.२१(शङ्कर से अन्त:स्थिति में रक्षा की प्रार्थना), ५.१.१५(शङ्कर वापी व शङ्करादित्य का माहात्म्य), ५३१९८८२, ६.१०९(पुरश्चन्द्र तीर्थ में शङ्कर लिङ्ग), ७.१.२५१(शङ्करादित्य का माहात्म्य), ७.१.२५२(शङ्करनाथेश्वर का माहात्म्य ), कथासरित् ४११०७शङ्करदत्त, ५१८६, द्र वंश दनु shankara/ shamkara
शङ्कराचार्य भविष्य ३.४.१०(भैरवदत्त - पुत्र, वीरभद्र का अंश )
शङ्करात्मा नारद १.७९.५०(वृषपर्वा द्वारा गौतम के उन्मत्त शिष्य शङ्करात्मा का वध, शिव द्वारा स्व तेज से हनुमान रूप में जीवित करना), पद्म ५.११४.१००(उन्मत्त वेश धारी गौतम - शिष्य शङ्करात्मा का वृषपर्वा द्वारा वध ) shankaraatmaa/ shankaratmaa
शङ्का गणेश २.१०१.१५(शङ्कासुर के भ्राता कमलासुर का वृत्तान्त),
शङ्कु गर्ग ५.८.३६(कंस - भ्राता, कृष्ण द्वारा वध - शंकुं सुहुं तुष्टिमंतं वामपादेन माधवः । राष्ट्रपालं दक्षिणेन पादेनाभिजघान ह ॥), ब्रह्माण्ड १.२.११.४२(ऊर्जा व वसिष्ठ – पुत्र - रक्षो गर्त्तोर्द्ध्वबाहुश्च सवनः पवनश्च यः ।। सुतपाः शंकुरित्येते सर्वे सप्तर्षयः समृताः ।।), मार्कण्डेय ७८.१८/७५.१८(सूर्य के कर्तित तेज से वसुओं के शङ्कुओं आदि के निर्माण का उल्लेख - चक्रं विष्णोर्वसूनाञ्च शङ्कवोऽथ सुदारुणाः । पावकस्य तथा शक्तिः शिबिका धनदस्य च॥), स्कन्द ५.३.२२.५(गार्हपत्य अग्नि का पुत्र - तथा वै गार्हपत्योऽग्निर्जज्ञे पुत्रद्वयं शुभम् । पद्मकः शङ्कुनामा च तावुभावग्निसत्तमौ ॥), ६.१४२.२०(७७ शंकुओं की विद्यमानता का उल्लेख - सरितां पतयस्त्रिंशच्छंकवः सप्तसप्ततिः ॥), ६.१८८(यज्ञ में शङ्कु प्रचार कर्म का माहात्म्य - यथायथा प्रवर्तंते शंकवः सामसूचिताः ॥ दक्षिणाग्नौ द्रुतं गत्वा कुरु होमं यथोदितम् ॥), हरिवंश २.३६.३(रुक्मी – कृष्ण युद्ध के संदर्भ में शङ्कु का दन्तवक्त्र से युद्ध - गदेन चेदिराजस्य दन्तवक्त्रस्य शङ्कुना । ), महाभारत आदि २२०.३१(प्रद्युम्नश्चैव साम्बश्च निशङ्कुः शङ्कुरेव च। चारुदेष्णश्च विक्रान्तो झिल्ली विपृथुरेव च।।), द्र. त्रिशङ्कु shanku/ shamku
शङ्कुकर्ण अग्नि ५६.१३(८ दिशाओं के ध्वज – देवताओँ में से एक - कुमुदः कुमुदाक्षश्च पुण्डरीकोथ वामनः। शङ्कुकर्णः सर्व्वनेत्रः सुमुखः सुप्रतिष्ठितः ।।), ९६.१०(..शङ्कुकर्णः सर्वनेत्रः सुमुख सुप्रतिष्ठितः ।। ध्वजाष्टदेवताः पूज्याः पूर्वादौ भूतकोटिभिः।), कूर्म १.३३.१५(शङ्कुकर्ण मुनि द्वारा पिशाच का दर्शन, पिशाच द्वारा स्नान से दिव्य रूप की प्राप्ति, ब्रह्मपार स्तोत्र पाठ - कपर्दिनं त्वां परतः परस्ताद् गोप्तारमेकं पुरुषं पुराणम् ।व्रजामि योगेश्वरमीशितारमादित्यमग्निं कपिलाधिरूढम् ।।), देवीभागवत ७.३८.३०(शङ्कुकर्ण पर्वत पर ध्वनि देवी के वास का उल्लेख - शङ्कुकर्णे ध्वनिः प्रोक्ता स्थूला स्यात्स्थूलकेश्वरे ।), नारद १.६६.१२७(शङ्कुकर्ण की शक्ति ज्वालिनी का उल्लेख - दीर्घजिह्वः पार्वतीयुग्ज्वालिन्या शङ्कुकर्णकः ।), २.४८.२०(काशी में शङ्कुकर्णेश्वर लिङ्ग : दक्षिणायन का रूप - अयनं तूत्तरं ज्ञेयं तिमिचंडेश्वरं ततः ।। दक्षिणं शंकुकर्णं तु ॐकारे तदनंतरम् ।।), पद्म ३.२४.२०( शंकुकर्णेश्वरं देवमर्चयित्वा युधिष्ठिर । अश्वमेधं दशगुणं प्रवदंति मनीषिणः ।।), ३.३५(शङ्कुकर्ण द्वारा पिशाचमोचन तीर्थ में तप, कपर्दीश्वर की आराधना, ब्रह्मपार स्तोत्र), ६.१८१(भ्रष्ट ब्राह्मण शङ्कुकर्ण का मृत्यु - पश्चात् सर्प बनना, गीता के सप्तम अध्याय श्रवण से मुक्ति), भविष्य ४.१०७.४७(शङ्कुकर्ण दैत्य द्वारा इन्द्र को पदच्युत करना, विष्णु का आलिङ्गन, विष्णु द्वारा निष्पीडन द्वारा हनन - ततः कृष्णस्तु सहसा गृह्य दोर्भ्यां शनैः शनैः ।। पीडयामास विहसन्नदंतं भैरवान्रवान् ।।), वामन ९.२९(शङ्कुकर्ण का अश्व वाहन - शङ्कुकर्णस्य तुरगो हयग्रीवस्य कुञ्जरः।), २२.४१(कुरुजाङ्गल क्षेत्र की रक्षा हेतु नियुक्त गणों के नाम - विद्याधरं शङ्कुकर्णं सुकेशिं राक्षसेश्वरम्। अजावनं च नृपतिं महादेवं च पावकम्।।), ५७.६९(अम्बिका द्वारा कुमार को प्रदत्त गण का नाम - उन्मादं शङ्कुकर्णं च पुष्पदन्तं तथाम्बिका), ५८.५४( शङ्कुकर्ण द्वारा हल से असुर संहार - शङ्कुकर्णश्च मुसली हलेनाकृष्य दानवान्। संचूर्णयति मंत्रीव राजानं प्रासभृद् वशी।।), ६९.४८(अन्धको नन्दिनं युद्धं शङ्कुकर्णं त्वयःशिराः। कुम्भध्वजं बलिर्धीमान् नन्दिषेणं विरोचनः।। ), ९०.३२(शङ्कुकर्ण में विष्णु का नीलाभ नाम), वायु ५०.१६(प्रथमे तु तले ख्यातमसुरेन्द्रस्य मन्दिरम्।.. पुरञ्च शङ्कुकर्णस्य कबन्धस्य च मन्दिरम्।), स्कन्द ४.२.५३.१५(शिव आज्ञा से शङ्कुकर्ण का दिवोदास के राज्य में विघ्न हेतु गमन - शंकुकर्णमहाकालौ कालस्यापि प्रकंपनौ ।। ज्ञातुं वाराणसीवार्तामायातं चत्वरान्वितौ ।।), ४.२.७४.५३(शङ्कुकर्ण गण द्वारा काशी में निर्ऋति कोण की रक्षा - रक्षः काष्ठां शंकुकर्णो दृमिचंडो मरुद्दिशम् ।।), ४.२.९७.८५(शङ्कुकर्णेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य - शंकुकर्णेश्वरं लिंगं कौस्तुभेश्वरदक्षिणे ।। संसेव्य परमं ज्ञानं लभेदद्यापि साधकः ।।), ६.१०९.८(शङ्कुकर्ण तीर्थ में महातेज नामक लिङ्ग - शंकुकर्णे महातेजं गोकर्णे च महाबलम् ॥ ), ७.१.१०.५(शङ्कुकर्ण तीर्थ का वर्गीकरण – पृथिवी - कालिंजरं वनं चैव शंकुकर्णं स्थलेश्वरम् ॥ शूलेश्वरं च विख्यातं पृथ्वीतत्त्वे च संस्थितम् ॥ ), महाभारत आदि ५७.१५(धृतराष्ट्रकुल के नाग - शङ्कुकर्णः पिठरकः कुठारमुखसेचकौ।। पूर्णाङ्गदः पूर्णमुखः प्रहासः शकुनिर्दरिः।), सभा १०.३४(कुबेर सभा - नन्दीश्वरश्च भगवान्महाकालस्तथैव च। शङ्कुकर्णमुखाः सर्वे दिव्याः पारिषदास्तथा।।), वन ८२.७०, शल्य ४५.५१(उन्मादं शङ्कुकर्णं च पुष्पदन्तं तथैव च।। प्रददावग्निपुत्राय पार्वती शुभदर्शना।), ४५.५६(शङ्कुकर्णो निकुम्भश्च पद्मः कुमुद एव च।।), shankukarna/shamkukarna
शङ्कुधर लक्ष्मीनारायण ३.१८८.१(आसीत् शंकुधराख्यो वै स्तेनो मालव्यपत्तने ।।...अपजापकनाम्ना वै कोषाध्यक्षेण सर्वथा ।।)
शङ्कुवर्ण स्कन्द ६.५.७(त्रिशङ्कु के यज्ञ में शङ्कुवर्ण के प्रस्तोता होने का उल्लेख - प्रस्तोता शंकुवर्णश्च तथोन्नेता च गालवः। ),
शङ्कुशिरा द्र. वंश दनु |