पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(Shamku - Shtheevana)

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar

 

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Shamku -  Shankushiraa  ( words like Shakata/chariot, Shakuna/omens, Shakuni, Shakuntalaa, Shakti/power, Shakra, Shankara, Shanku, Shankukarna etc. )

Shankha - Shataakshi (Shankha, Shankhachooda, Shachi, Shanda, Shatadhanvaa, Shatarudriya etc.)

Shataananda - Shami (Shataananda, Shataaneeka, Shatru / enemy, Shatrughna, Shani / Saturn, Shantanu, Shabara, Shabari, Shama, Shami etc.)

Shameeka - Shareera ( Shameeka, Shambara, Shambhu, Shayana / sleeping, Shara, Sharada / winter, Sharabha, Shareera / body etc.)

Sharkaraa - Shaaka   (Sharkaraa / sugar, Sharmishthaa, Sharyaati, Shalya, Shava, Shasha, Shaaka etc.)

Shaakataayana - Shaalagraama (Shaakambhari, Shaakalya, Shaandili, Shaandilya, Shaanti / peace, Shaaradaa, Shaardoola, Shaalagraama etc.)

Shaalaa - Shilaa  (Shaalaa, Shaaligraama, Shaalmali, Shaalva, Shikhandi, Shipraa, Shibi, Shilaa / rock etc)

Shilaada - Shiva  ( Shilpa, Shiva etc. )

Shivagana - Shuka (  Shivaraatri, Shivasharmaa, Shivaa, Shishupaala, Shishumaara, Shishya/desciple, Sheela, Shuka / parrot etc.)

Shukee - Shunahsakha  (  Shukra/venus, Shukla, Shuchi, Shuddhi, Shunah / dog, Shunahshepa etc.)

Shubha - Shrigaala ( Shubha / holy, Shumbha, Shuukara, Shoodra / Shuudra, Shuunya / Shoonya, Shoora, Shoorasena, Shuurpa, Shuurpanakhaa, Shuula, Shrigaala / jackal etc. )

Shrinkhali - Shmashaana ( Shringa / horn, Shringaar, Shringi, Shesha, Shaibyaa, Shaila / mountain, Shona, Shobhaa / beauty, Shaucha, Shmashaana etc. )

Shmashru - Shraanta  (Shyaamalaa, Shyena / hawk, Shraddhaa, Shravana, Shraaddha etc. )

Shraavana - Shrutaayudha  (Shraavana, Shree, Shreedaamaa, Shreedhara, Shreenivaasa, Shreemati, Shrutadeva etc.)

Shrutaartha - Shadaja (Shruti, Shwaana / dog, Shweta / white, Shwetadweepa etc.)

Shadaanana - Shtheevana (Shadaanana, Shadgarbha, Shashthi, Shodasha, Shodashi etc.)

 

 

Puraanic contexts of words like  Shilpa, Shiva etc. are given here.

शिलाद लिङ्ग १.४२(शिलाद द्वारा शिव को पुत्र नन्दी के रूप में प्राप्त करना), शिव ३.६(शिलाद द्वारा तप से नन्दी पुत्र की प्राप्ति ), स्कन्द १.२.२९, लक्ष्मीनारायण ३.२१५, shilaada/ shilada

 

शिलीमुख वायु ६९.१५९, कथासरित् १०.६.२९

 

शिल्प अग्नि ३३६.४३(शिल्प सम्बन्धी शब्दों का निरूपण), ब्रह्मवैवर्त्त १.१०(शिल्पकार की उत्पत्ति व इतिहास), १.१०.४०(चन्द्रमा से शृङ्गार शिल्प प्राप्ति का उल्लेख),  विष्णुधर्मोत्तर ३.११९.१०(शिल्प कर्म के आरम्भ में विश्वरूप की पूजा), स्कन्द ४.२.८६(विश्वकर्मा को गुरु दक्षिणा के लिए शिल्प विद्या प्राप्ति), हरिवंश ३.३०.४(पृथु के शिल्पों का प्रवर्तक होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण ३.१००.३३४, ३.२१६, वास्तुसूत्रोपनिषद ४.९(शिल्प व शुल्ब में साम्य), shilpa

Vedic contexts on Shilpa

 

शिव अग्नि ३, २१.९(शिव पूजा विधि), ७४(शिव पूजा विधि), ९१.१५(शिव के बीज मन्त्र आं हौं का उल्लेख), ९७(शिवलिङ्ग प्रतिष्ठा विधि), १०३(शिवलिङ्ग जीर्णोद्धार विधि), १२४.२१(शिव की नाभिमूल में स्थिति का वर्णन), १७८, १८४, १९३(शिवरात्रि व्रत विधि), २१७(वसिष्ठ द्वारा शिव की विभिन्न लिङ्ग नामों से स्तुति), ३०४(शिव पञ्चाक्षर मन्त्र दीक्षा विधान), ३१७.९(शिव की तत्पुरुष आदि मूर्तियों के बीज मन्त्र), ३२३.२८(७० अक्षरों का ईशान शिव आदि ह्रदय मन्त्र), ३२४(कल्पाघोर रुद्र शान्ति का वर्णन), ३२७.७(शिव पञ्चाक्षर मन्त्र व शिवलिङ्ग पूजा की महिमा), कूर्म २.३१(शिव द्वारा ब्रह्मा के पञ्चम गर्वित शिर का छेदन, ब्रह्मा द्वारा स्तुति, वेदों द्वारा गुणगान), गरुड १.२१(पञ्चवक्त्र शिव अर्चन विधि), १.२२(शिवार्चन विधि), १.२३.३३(पञ्चवक्त्र शिव का न्यास), १.४२(शिव हेतु पवित्रारोपण विधि), १.२०५.६६(दक्षिणाग्नि का रूप), गर्ग २.२५(कृष्ण के दर्शन हेतु शिव द्वारा गोपी रूप धारण करना), १०.३९(शिव द्वारा कृष्ण की स्तुति), देवीभागवत ९.२.८२(शिव की कृष्ण से उत्पत्ति), नारद १.१६.७८(भगीरथ द्वारा गङ्गा प्राप्ति हेतु शिव की स्तुति), १.६६.१०६(शिव नामों के साथ शैव मातृका न्यास), १.६६.११९(शिवेश की शक्ति व्यापिनी का उल्लेख), १.६६.१२५(शिवोत्तम की शक्ति शान्ति का उल्लेख), १.७६.११५(शिव के अभिषेक प्रिय होने का उल्लेख), १.७९.२३०(हनुमान द्वारा शिव की अर्चना), १.९१(शिव मन्त्र विधान), १.१२२.५०(कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को दीप अर्चन, शिव शत नाम), १.१२३.६०(शिव चतुर्दशी व्रत विधि), १.१२३.६९(शिवरात्रि चतुर्दशी व्रत विधि), २.४९.१६(१२ मासों की चतुर्दशियों में विभिन्न नामों से शिव की पूजा), २.७३(जैमिनि के समक्ष शिव द्वारा ताण्डव नृत्य, जैमिनि द्वारा स्तुति), पद्म १.१४(शिव द्वारा ब्रह्मा के पञ्चम शिर का चेदन, विष्णु से भिक्षा रूप में प्राप्त रक्त से रक्त नर की उत्पत्ति, ब्रह्महत्या निवृत्ति हेतु ब्रह्मा व विष्णु की स्तुति), १.२०(शिव व्रत की विधि व माहात्म्य), १.४६(अन्धक द्वारा पराजय पर शिव द्वारा सूर्य की स्तुति, अन्धक को गण बनाना), ३.२५, ५.१०४(शिव का शम्भु ब्राह्मण रूप में अयोध्या गमन, राम से पुराणादि का कथन), ५.११७(राम द्वारा किए गए श्राद्ध के अनुष्ठान में शिव का अतिथि रूप में आगमन तथा राम व सीता की परीक्षा), ६.१११(सावित्री के शाप से शिव का वेणा नदी बनना), ६.११७, ६.१८१(शङ्कुकर्ण ब्राह्मण - पुत्र, सर्प योनि ग्रस्त पिता के धन की प्राप्ति व पिता की मुक्ति का उद्योग), ६.२३५(शिव द्वारा तामस लक्षणों को धारण करना, तामस पुराणों की सृष्टि), ६.२५०(बाणासुर युद्ध प्रसंग में शिव की कृष्ण से पराजय, कृष्ण की स्तुति), ६.२५५(भृगु के शाप से शिव द्वारा लिङ्ग स्वरूप की प्राप्ति), ब्रह्म १.३३(बाल रूप धारी शिव का ग्राह से ग्रस्त होना, पार्वती द्वारा स्व - तप से मोचन), १.३४(पार्वती स्वयंवर में शिव का शिशु रूप में पार्वती के अङ्क में सोना, इन्द्र व भग द्वारा शिव पर प्रहार), १.३८(दक्ष - प्रोक्त शिव सहस्रनाम), २.३२, २.४३, २.७३, २.९२, २.९९, २.१०५, ब्रह्मवैवर्त्त ३.१८, ४.४३(सती के वियोग में शिव का विलाप, प्रकृति की स्तुति, पार्वती से परिणय), ब्रह्माण्ड १.२.२५(शिव द्वारा नीलकण्ठ नाम प्राप्ति का कारण, ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), १.२.२६(शिव के लिङ्गान्त के दर्शन न होने पर ब्रह्मा व विष्णु द्वारा शिव की स्तुति), १.२.२७(ऋषियों के शाप से शिव के लिङ्ग का पतन व पुन: लिङ्ग प्रतिष्ठा), २.३.२३(मृगव्याध रूपी शिव द्वारा परशुराम की परीक्षा), २.३.७२.१६२(शुक्र द्वारा विद्या प्राप्ति के पश्चात् शिव की स्तुति), ३.४.२.२३४(शिव लोक की स्थिति व निवासियों का वर्णन), ३.४.१०(मोहिनी रूप धारी विष्णु पर शिव की आसक्ति), ३.४.१४(ललिता प्राप्ति हेतु शिव द्वारा मदनकामेश्वर रूप धारण), ३.४.३७(कामेश्वर शिव), भविष्य ३.४.२५.२१(अव्यक्त के पश्चिम मुख से शिव की उत्पत्ति का उल्लेख), ३.४.२५.८५(उत्तम मन्वन्तर में रुद्र/शिव की वृष राशि में उत्पत्ति), ३.४.२५.१०१(शिव कल्प का वर्णन), ४.९३(शिव चतुर्दशी व्रत के संदर्भ में उतथ्य व अङ्गिरा मुनियों में श्रेष्ठता का विवाद, अङ्गिरा द्वारा सूर्य और अग्नि के कार्यों का सम्पादन), ४.९७(शिव चतुर्दशी व्रत), भागवत ४.२(दक्ष द्वारा शिव को यज्ञ से बहिष्कृत करना, नन्दी द्वारा दक्ष को शाप), ४.६(ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), ७.१०(शिव द्वारा त्रिपुर दाह की कथा), ८.७.२०(विषपान हेतु प्रजापतियों द्वारा शिव की स्तुति), ८.१२(शिव द्वारा हरि की स्तुति, मोहिनी रूप पर मोहन), १०.८८(शिव द्वारा वृक असुर को कर स्पर्श से मृत्यु का वरदान, ब्रह्मचारी वेश में वृक की वञ्चना), मत्स्य २३(तारा हरण के कारण शिव का चन्द्रमा से युद्ध), ४७.१२८(धूमपान व्रत की पूर्णता पर शुक्र द्वारा शिव स्तोत्र का पठन), ५६(कृष्ण अष्टमी व्रत में मास अनुसार शिव पूजा), १०१.१२(शिव व्रत), १०१.८२(शिव व्रत), १५४.४५२(पार्वती से विवाह हेतु शिव का गमन, यात्रा का वृत्तान्त), २५०.२८(देवों व दानवों द्वारा शिव की स्तुति, शिव द्वारा कालकूट विष का पान), २५९(शिव की मूर्तियों के आकार), २५९.११(शिव की त्रिपुरान्तक मूर्ति का आकार), २६०.१(शिव की अर्धनारीश्वर प्रतिमा का रूप), २६०.११(उमा - महेश्वर प्रतिमा का रूप), २६०.२१(शिव नारायण प्रतिमा का रूप), लिङ्ग १.११.८(सद्योजात शिव का माहात्म्य, ब्रह्म के पार्श्व से श्वेत मुनि आदि का प्राकट्य), १.१२(सद्योजात शिव का माहात्म्य), १.१३(तत्पुरुष शिव का माहात्म्य), १.१४(अघोर शिव का माहात्म्य), १.१८(विष्णु द्वारा शिव की स्तुति), १.२१(ब्रह्मा व शिव द्वारा स्तुति), १.२३(कल्पानुसार सद्योजातादि शिव का प्राकट्य), १.६५(शिव सहस्रनाम), १.७९(शिवार्चन विधि), १.८३(मासानुसार शिव व्रत की विधि), १.८५(शिव पञ्चाक्षर मन्त्र का माहात्म्य), १.९५(नृसिंह के भयंकर रूप की शान्ति हेतु देवों द्वारा शिव की स्तुति), १.९८(विष्णु - प्रोक्त शिव सहस्रनाम), १.१०२(पार्वती स्वयंवर में शिव का पार्वती के अङ्क में शयन, देवों के अस्त्रों को स्तम्भित करना), १.१०६(काली के प्रसन्नार्थ शिव द्वारा ताण्डव नृत्य), २.११(शिव की विभूतियों का वर्णन), २.१२(शिव की मूर्तियों के भेद), २.१६(शिव की विभूतियों का वर्णन), २.१९(शिव पूजा विधि, शिव के विभिन्न मुखों का वर्णन), २.२१.९(अष्टदल कमल पत्रों में शिव के नाम), २.२२+ (शिवार्चन विधि), २.२३.८(शिव के विभिन्न मुखों के वर्ण), २.२७(शिवाभिषेक विधि), वराह १५४, १६८(शिव द्वारा मथुरा में क्षेत्रपालत्व का ग्रहण), वामन १(शिव के आभूषणों का वर्णन), ४४(शिव के लिङ्ग का पतन, पुन: स्थापना, शिव द्वारा हस्ती रूप धारण), ५१(शिव का भिक्षु रूप में उमा के समीप गमन), ६०(शिव द्वारा तेज प्राप्ति के लिए तप), ६२(शिव का विष्णु से देह एक्य), ६७(शिव का विष्णु से एकत्व, गणों द्वारा दर्शन), ८२(शिव द्वारा विष्णु को सुदर्शन चक्र देना, विष्णु द्वारा सुदर्शन से शिव की देह का खण्डन), ९०.४१(शिव लोक में विष्णु का नाम सनातन), वायु २३.६३(विभिन्न कल्पों में शिव के सद्योजात आदि अवतार), २३.११६(द्वापरों में शिव अवतारों के नाम), २४.९०(विष्णु व ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ३०.१८१(यज्ञ विध्वंस के पश्चात् दक्ष द्वारा सहस्र नामों से शिव की स्तुति), ५४(शिव द्वारा नीलकण्ठ नाम प्राप्ति का कारण, देवों द्वारा शिव की स्तुति, शिव द्वारा कालकूट विष का पान), ५५(लिङ्गान्त दर्शन में असफल रहने पर ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), १०१.२३१(शिव पुर की शोभा का वर्णन), १०४.८१(शैव पीठ की सीमन्त में स्थिति), विष्णु २४४, विष्णुधर्मोत्तर १.२९(शिव का अङ्गुष्ठ मात्र होकर चन्द्र व सूर्य के पास जाना), १.६७(शिव की विष्णु से श्रेष्ठता की स्पर्द्धा), ३.४८(शिव की मूर्ति का रूप), विष्णुधर्मोत्तर ३.५५, शिव १.२३(शिव नाम का माहात्म्य), २.१.६(शिव के निर्गुण व सगुण रूप), २.१.८(पञ्चवक्त्र शिव), २.१.९(ब्रह्मा व विष्णु द्वारा पञ्चवक्त्र शिव से वेद ज्ञान की प्राप्ति), ३.१(शिव के सद्योजातादि नाम), ३.२(शिव की शर्व आदि ८ मूर्तियां), ३.२०(मोहिनी रूप के दर्शन से शिव वीर्य की च्युति, हनुमान का जन्म), ३.२८(शिव का नल के प्रीतिकर हंस रूप में अवतार), ३.३२(उपमन्यु की परीक्षा हेतु शिव का शक्र रूप में अवतार), ३.३३(शिव द्वारा तपोरत शिवा की ब्रह्मचारी रूप में परीक्षा), ३.३४(शिव द्वारा नर्तक रूप में हिमालय से पार्वती की याचना), ३.३९(मूक दैत्य के वध हेतु शिव द्वारा भिल्ल वेश धारण , अर्जुन से विवाद), ४.४२(शिव के सगुण व निर्गुण भेद), ५.३(शिव द्वारा कृष्ण व राम को वर प्रदान), ६.१७(शिव का शक्ति के साथ मिलन का स्वरूप), ७.१.२८(शिव का शक्ति से एक्य), ७.२.३१(पञ्चावरण शिव स्तोत्र का वर्णन), स्कन्द १.१.०+, १.१.६(ऋषियों के शाप से शिव के लिङ्ग का पतन), १.१.१०(शिव द्वारा कालकूट विष का भक्षण), १.१.२१(शिव का गौरी पर मोहित होना, काम को दग्ध करना), १.१.२२(शिव का ब्रह्मचारी रूप में गिरिजा के प्रति गमन), १.१.३१(शिव द्वारा यम को धर्मोपदेश), १.१.३२(शिव धर्म), १.२.२५(शिव का विप्र रूप में तपोरत पार्वती से संवाद), १.३.२.२(शिव के निवास क्षेत्रों के नाम), १.३.२.३(शिव पूजक ऋषियों के नाम), २.२.१२(शिव द्वारा काशिराज को वर, कृष्ण पर पाशुपत अस्त्र द्वारा प्रहार, विष्णु की स्तुति, पुरुषोत्तम क्षेत्र की स्थापना), ३.१.२४(शिव तीर्थ का माहात्म्य, कालभैरव की ब्रह्महत्या से मुक्ति), ३.२.८, ३.३.४, ३.३.१४(शिव द्वारा द्विज रूप में भद्रायु की परीक्षा), ३.३.२०(शिव द्वारा वैश्य रूप में महानन्दा वेश्या की परीक्षा), ४.१.१७(शिव के भाल से स्वेद बिन्दु पतन से मङ्गल ग्रह की उत्पत्ति), ४.१.३३.१६८(विभिन्न लिङ्गों की शिव के अङ्गों के रूप में कल्पना), ४.१.४४+ (दिवोदास के राज्य में शिव के काशी से वियोग का वर्णन, विघ्नार्थ ६४ योगिनियों, सूर्य, गणेश, विष्णु आदि का प्रेषण), ४.२.५२+ (काशी से दिवोदास के निष्कासन के लिए शिव द्वारा योगिनियों, सूर्य, ब्रह्मा, गण आदि का प्रेषण), ४.२.८७(दक्ष द्वारा शिव की विसंगतियों का चिन्तन), ५.१.३(शिव द्वारा भिक्षा रूप में विष्णु से भुजा के रक्त की प्राप्ति, रक्त नर की उत्पत्ति), ५.१.३६(शिवपद तीर्थ की उत्पत्ति की कथा), ५.१.५१(नाग लोक में भिक्षा प्राप्त न होने पर शिव द्वारा अमृत कुण्ड का पान, सर्पों द्वारा शिप्रा में स्नान, शिव की स्तुति), ५१५१३५, ५.२.३७(शिव लिङ्ग का माहात्म्य, गणेश का लिङ्ग में परिवर्तित होना, रिपुञ्जय की कथा), ५.२.३७.४७, ५.२.४०, ५.३.६(प्रलय काल में शिव द्वारा मयूर रूप धारण), ५.३.८(बक कल्प में शिव द्वारा बक पक्षी रूप धारण), ५.३.१६(संहार काल में ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ५.३.२६.१६, ५.३.२८(शिव द्वारा बाणासुर के त्रिपुर विनाश का उद्योग), ५.३.३८(शिव द्वारा सुन्दर रूप धारण कर ब्राह्मण - पत्नियों में विकार उत्पन्न करना, ब्राह्मणों के शाप से लिङ्ग पतन, तप से लिङ्ग का पूजित होना), ५.३.८५.१७, ५.३.१४५(शिव तीर्थ का माहात्म्य), ५.३.१८१.४४, ५.३.२०९, ६.१(ब्राह्मण - पत्नियों में कामुकता उत्पन्न करने से शिव के लिङ्ग का ब्राह्मणों के शाप से पतन, देवों के अनुरोध पर पुन: धारण), ६.१२२(हिरण्याक्ष - प्रमुख ५ दैत्यों के वधार्थ शिव द्वारा महिष रूप धारण), ६.१५३(तिलोत्तमा द्वारा प्रदक्षिणा करते समय शिव का क्षुब्ध होना, चतुर्मुख बनना, पार्वती द्वारा शिव के नेत्रों का रोधन), ६.२५८.४५(प्रणव ज्ञानार्थ तपोरत पार्वती के समीप शिव द्वारा काम क्रीडा, ऋषियों के शाप से लिङ्ग का पतन, ऋषियों द्वारा स्तुति, शिव द्वारा सुरभि की स्तुति, सुरभि शरीर में लय होना, सुरभि गौ से नील वृष रूप में जन्म लेना), ७.१.३(कैलास पर शिव की सभा का वर्णन, शिव द्वारा पार्वती को विभूति योग का वर्णन), ७.१.७(कल्पों के अनुसार शिव के नाम), ७.१.२२(कला अनुसार शिव के नाम), ७.१.१८७, ७.१.३०८(ऋषि - पत्नियों में क्षोभ उत्पन्न करने वाले डिण्डि रूप धारण, कुबेराश्रम में गज रूप धारण), योगवासिष्ठ ६.१.३०, ६.२.८२(शिव का स्वरूप), ६.२.८४(शिव व शक्ति), लक्ष्मीनारायण १.५४८.९०(हर के प्रभास में बाल रूप होने का उल्लेख), २.२७.७७(शिव का भाद्रपद अष्टमी को शयन, मास अनुसार शिव पूजा विधान ), ३.२०.४१, कथासरित् ५.१.८१, shiva

शिवगण शिव २.३.४०, २.५.९, २.५.३१,

 

शिवजय लक्ष्मीनारायण ३.२२१,

 

शिवदत्त ब्रह्माण्ड ३.३५.११, कथासरित् १२.७.१५४,

 

शिवदृष्टि भविष्य ३.१.७.१३

 

शिवदूती देवीभागवत ५.२८(शिवदूती मातृका की चण्डिका से उत्पत्ति, शिवदूती द्वारा शिव को दूत बनाकर शुम्भ के पास प्रेषण), पद्म १.३१(शिवदूती द्वारा रुरु दैत्य का वध, शिव द्वारा स्तुति), १.४६.७९, ब्रह्माण्ड ३.४.२५.९६(ललिता - सहचरी शिवदूती द्वारा पुक्लस का वध), मार्कण्डेय ८८, विष्णुधर्मोत्तर ३.७३(शिवदूती देवी की मूर्ति का रूप), स्कन्द ४.२.७०.२७(शिवदूती देवी का संक्षिप्त माहात्म्य) shivadootee/shivaduutee/ shivaduti

 

शिवनामस्तुति नारद १.६६, पद्म १.२३, मत्स्य ६४, वामन ६५.१२१, ७०, वायु ९६.१६२, शिव २.५.४७, ४.३५, ७.१.८, ७.२.३, ७.२.३१, स्कन्द १.३.६,

 

शिवपुर कथासरित् १२.२२.३

 

शिवभूति कथासरित् १७.१.२३

 

शिवरात्रि गरुड १.१२४(शिवरात्रि व्रत : माघ/फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को सुन्दरसेन राजा की मुक्ति की कथा), शिव ४.३८, स्कन्द १.१.३३, ३.३.२, ५.३.२०९.१२६, ६.२६६(माघ कृष्ण चतुर्दशी को चोर द्वारा अनायास शिव पूजा से मुक्ति की कथा), ७.१.३९, ७.१.१४८, ७.२.१६.१०३(शिव रात्रि का माहात्म्य व व्रत विधि), ७.३.९(शिवरात्रि में केदारेश्वर की पूजा), लक्ष्मीनारायण १.१५३(शिवरात्रि व्रत की महिमा : लुब्धक को स्वर्ग लोक की प्राप्ति ) shivaraatri/ shivaratri

 

शिवराज्ञी लक्ष्मीनारायण ३.३८.२

 

शिववर्मा कथासरित् १.५.५९

 

शिवशर्मा पद्म २.१+ (शिवशर्मा ब्राह्मण द्वारा चार पुत्रों की पितृभक्ति की परीक्षा की कथा), २.४७, ६.६२, ६.२००+ (गुणवती - पति, विष्णुशर्मा व सुशर्मा - पिता, इन्द्रप्रस्थ में स्नान से पूर्व - जन्म का ज्ञान), ६.२०५, स्कन्द ४.१.७+ (भूदेव - पुत्र शिवशर्मा द्विज द्वारा तीर्थ यात्रा, मायापुरी में देहावसान व मुक्ति), ४.१.२३.१(शिवशर्मा का नन्दिवर्धन पुर के राजा के रूप में जन्म, अनङ्गलेखा - पति), ४.१.२४(शिवशर्मा का जन्मान्तर में वृद्धकाल नृप बनना ) shivasharmaa

 

शिवा ब्रह्मवैवर्त्त १.६, ब्रह्माण्ड १.२.१०.८०(ईशान - पत्नी, मनोजव व अविज्ञातगति - माता), भविष्य १.३१, लिङ्ग २.१३.१०(शिव - भार्या, मनोजव - माता), विष्णुधर्मोत्तर १.४१.६(वायु की प्रकृति शिवा का उल्लेख), स्कन्द १.२.१३(शतरुद्रिय प्रसंग में शिवा देवी द्वारा पारद लिङ्ग की पूजा का उल्लेख), १.२.२९.१००, ५.१.३८.३४(अन्धक के रक्त पान के पश्चात् चामुण्डा का शिवा नाम होना ), लक्ष्मीनारायण ४.१०१.११८, कथासरित् १८.२.१६०, द्र. वंश वसुगण, भूगोल shivaa

 

शिशिर नारद १.५९.५०(शुक द्वारा शैशिर गिरि पर आकर पिता व्यास के दर्शन का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.२४.१४१(ऋतुओं में शिशिर के आदि होने का उल्लेख), वराह १२३(शिशिर ऋतु में करणीय अर्चना ), विष्णु २.४.३, विष्णुधर्मोत्तर १.२४६, हरिवंश ३.३५.१२, द्र. वंश वसुगण shishira

 

शिशु अग्नि २९९(शिशु पीडक ग्रही के लक्षण व चिकित्सा), स्कन्द ४.१.४५.३८(शिशुघ्नी : ६४ योगिनियों में से एक), लक्ष्मीनारायण १.७३.११ (दन्त जनन तक शिशु होने का उल्लेख ) shishu