पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(Shamku - Shtheevana)

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar

 

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Shamku -  Shankushiraa  ( words like Shakata/chariot, Shakuna/omens, Shakuni, Shakuntalaa, Shakti/power, Shakra, Shankara, Shanku, Shankukarna etc. )

Shankha - Shataakshi (Shankha, Shankhachooda, Shachi, Shanda, Shatadhanvaa, Shatarudriya etc.)

Shataananda - Shami (Shataananda, Shataaneeka, Shatru / enemy, Shatrughna, Shani / Saturn, Shantanu, Shabara, Shabari, Shama, Shami etc.)

Shameeka - Shareera ( Shameeka, Shambara, Shambhu, Shayana / sleeping, Shara, Sharada / winter, Sharabha, Shareera / body etc.)

Sharkaraa - Shaaka   (Sharkaraa / sugar, Sharmishthaa, Sharyaati, Shalya, Shava, Shasha, Shaaka etc.)

Shaakataayana - Shaalagraama (Shaakambhari, Shaakalya, Shaandili, Shaandilya, Shaanti / peace, Shaaradaa, Shaardoola, Shaalagraama etc.)

Shaalaa - Shilaa  (Shaalaa, Shaaligraama, Shaalmali, Shaalva, Shikhandi, Shipraa, Shibi, Shilaa / rock etc)sciple, Sheela, Shuka / parrot etc.)

Shilaada - Shiva  ( Shilpa, Shiva etc. )

Shivagana - Shuka (  Shivaraatri, Shivasharmaa, Shivaa, Shishupaala, Shishumaara, Shishya/de

Shukee - Shunahsakha  (  Shukra/venus, Shukla, Shuchi, Shuddhi, Shunah / dog, Shunahshepa etc.)

Shubha - Shrigaala ( Shubha / holy, Shumbha, Shuukara, Shoodra / Shuudra, Shuunya / Shoonya, Shoora, Shoorasena, Shuurpa, Shuurpanakhaa, Shuula, Shrigaala / jackal etc. )

Shrinkhali - Shmashaana ( Shringa / horn, Shringaar, Shringi, Shesha, Shaibyaa, Shaila / mountain, Shona, Shobhaa / beauty, Shaucha, Shmashaana etc. )

Shmashru - Shraanta  (Shyaamalaa, Shyena / hawk, Shraddhaa, Shravana, Shraaddha etc. )

Shraavana - Shrutaayudha  (Shraavana, Shree, Shreedaamaa, Shreedhara, Shreenivaasa, Shreemati, Shrutadeva etc.)

Shrutaartha - Shadaja (Shruti, Shwaana / dog, Shweta / white, Shwetadweepa etc.)

Shadaanana - Shtheevana (Shadaanana, Shadgarbha, Shashthi, Shodasha, Shodashi etc.)

 

 

Puraanic contexts of words like Shaakambhari, Shaakalya, Shaandili, Shaandilya, Shaanti/peace, Shaaradaa, Shaardoola, Shaalagraama etc. are given here.

शाकटायन ब्रह्मवैवर्त्त २.४.५७(शाकटायन द्वारा बलि सभा में शेष से सरस्वती कवच की प्राप्ति), स्कन्द ५.२.६८(शाकटायन ब्राह्मण द्वारा पिशाच को मुक्ति हेतु पिशाचेश्वर लिङ्ग की पूजा का परामर्श ), लक्ष्मीनारायण १.२६३, १.५६०, shaakataayana/ shakatayana

 

शाकम्भरी देवीभागवत ७.२८(दुर्गम दैत्य के वध हेतु शाकम्भरी का प्राकट्य, शताक्षी उपनाम), १२.६.१४५(गायत्री सहस्रनामों में से एक), पद्म ३.२८.१४(शाकम्भरी तीर्थ का माहात्म्य), मार्कण्डेय ९१.४६, वामन ५६.६९(इन्द्र के घर शाकम्भरी का प्राकट्य), शिव ५.५०.३५, स्कन्द ६.१६४(चण्डशर्मा - भार्या शाकम्भरी द्वारा दुर्गा की स्थापना), ६.२७५(दु:शील - भार्या द्वारा शाकम्भरीश्वर लिङ्ग की स्थापना ) shaakambharee/ shakambhari

 

शाकल नारद २.१४.१४(शाकल नगर में ब्राह्मणी का पतिद्रोह से गृहगोधा बनना), भविष्य ४.७५, वामन ६५, ७९, विष्णुधर्मोत्तर १.१५६(पुरूरवा द्वारा तप उपरान्त शाकलपुर में प्रवेश ), स्कन्द ५.२.७८.२, कथासरित् ८.१.१७ shaakala/ shakala

 

शाकल्य ब्रह्म २.९३(शाकल्य के कवच से रक्षित होने के कारण परशु राक्षस द्वारा शाकल्य के भक्षण में असफलता, राक्षस की मुक्ति), ब्रह्माण्ड १.२.३४(देवमित्र नाम, जनक सभा में याज्ञवल्क्य से वाद में मृत्यु), वायु ६०.३२(जनक के यज्ञ में शाकल्य का याज्ञवल्क्य से विवाद व मृत्यु ; शाकल्य के शिष्यों के नाम), स्कन्द २.१.११(शाकल्य द्वारा काश्यप ब्राह्मण को स्वामिपुष्करिणी में स्नान का आदेश, परीक्षित् की कथा का प्रसंग), ३.१.४१(शाकल्य द्वारा काश्यप को परीक्षित् की रक्षा न करने के दोष की निवृत्ति के लिए परामर्श), ३.१.४८(शङ्कर नृप द्वारा मृग रूप धारी शाकल्य की पत्नी सहित हत्या, पुत्र द्वारा श्राद्ध से मुक्ति), ६.१२९(याज्ञवल्क्य - गुरु, गुरु की आज्ञा भङ्ग करके याज्ञवल्क्य का निष्क्रमण), ६.२७८, ७.१.२३(चन्द्रमा के यज्ञ में अच्छावाक्), ७.१.७४(शाकल्येश्वर लिङ्ग का माहात्म्य, युगान्तरों में लिङ्ग के भैरवेश्वर, गालवेश्वर आदि नाम ), लक्ष्मीनारायण १.५०१, १.५६२.९२, shaakalya/ shakalya

 

शाकिनी अग्नि ५०.३८(शाकिनी की प्रतिमा का लक्षण), गणेश १.७६.१(गौड देश में शाकिनी - पुत्र का वृत्तान्त), पद्म ३.२६, स्कन्द १.२.६३.३३(दुहद्रुहा नामक शाकिनियों की अधीशा का बर्बरीक द्वारा वध ), लक्ष्मीनारायण १.३४९, shaakinee

 

शाक्त ब्रह्माण्ड १.२.१३.९५(शाक्त देवगण के नाम), वायु १०४.८२(शाक्त पीठ की जिह्वाग्र में स्थिति ) shaakta/ shakta

 

शाख वामन ६८, ६९, शिव ७.२.३१, कथासरित् ३.६.९२, ८.४.८५शाखिल, द्र. वंश वसुगण, विशाखा

 

शाटिका लक्ष्मीनारायण १.३८५.५१(अरुणा द्वारा शाटी प्रदान का उल्लेख), २.२२५.९१(मुक्तानियों आदि के लिए स्वर्ण शाटिका दान का उल्लेख ), ३.२०८.१ shaatikaa/ shatikaa

 

शाण हरिवंश २.७४.१५(शाणपाद : पारियात्र पर्वत का उपनाम), लक्ष्मीनारायण ३.१९७शाणधर,

 

शाण्डिली पद्म ३.५(शाण्डिली की हिरण्मय वर्ष में स्थिति, प्रभा देवी नाम), स्कन्द २.६.१, ३.३.६, ५.३.१७१.३९, ६.८१(गरुड द्वारा विष्णु के पार्श्व में स्थित शाण्डिली का उपहास करने पर गरुड के पक्षों का नाश), ६.१३०(शाण्डिल्य - पुत्री व जैमिनी - भार्या? शाण्डिली द्वारा सौभाग्य प्राप्ति हेतु याज्ञवल्क्य - पत्नी कात्यायनी को बोध), ६.१३५(तु. दीर्घिका), ७.१.१२६, हरिवंश २.८१.११, ३.६२(स्वयंप्रभा नामक शाण्डिली, अग्नि - माता), लक्ष्मीनारायण १.४९२, १.५०१.७०(शाण्डिली द्वारा जैमिनि को पति रूप में प्राप्त करने का वृत्तान्त ) shaandilee/ shandili

 

शाण्डिल्य कूर्म १.१८.५(असित देवल व समर्पणा - पुत्र), गर्ग ११.२(शाण्डिल्य द्वारा राजा प्रतिबाहु को गर्ग संहिता का वाचन), ब्रह्मवैवर्त्त १.१०, ब्रह्माण्ड २.३.८.३२(असित - पुत्र देवल : शाण्डिल्यों में श्रेष्ठ, एक काश्यप गोत्र), ३.१०.९१, भविष्य ४.१०३, भागवत १३.१, वराह ७१.२०(गौतम - पुत्र, पिता का वचन मुनियों से कहना), वायु ७०.२८, ७२.८५, ७३.४२(दिलीप के यज्ञ में अग्नि की उत्पत्ति की गाथा), शिव ३.८, स्कन्द १.२.११.१, १.३.२.२२.२९(शाण्डिल्य मूल में स्थित? दुर्वासा द्वारा विद्याधरी को शाप का वृत्तान्त), २.२.३८(नैवेद्य ग्रहण न करने से शाण्डिल्य को पीडा की प्राप्ति, उद्धार), २.६.१(शाण्डिल्य द्वारा वज्र नृप से कृष्ण लीला का वर्णन), ३.१.५(शतानीक के पुत्रेष्टि यज्ञ में आचार्य), ३.२.९.९२(शाण्डिल्य गोत्र के ऋषियों के ३ प्रवर व गुण), ३.३.६(शाण्डिल्य द्वारा विप्र - पत्नी उमा से नृप बालक के कुल का वर्णन), ५.३.१७१(शूलारोपित माण्डव्य का कम्पन करने पर माण्डव्य द्वारा शाण्डिल्य को शाप व प्रतिशाप, सूर्य का बन्धन व मोचन, शाण्डिल्य का पुन: सञ्जीवन), ६.५(त्रिशङ्कु के यज्ञ में होता), ६.११.२२, ६.१८०(ब्रह्मा के यज्ञ में प्रतिहर्त्ता), ६.२७१.२७१(दीर्घजीवी कूर्म का पूर्व जन्म में रूप), ७.१.१२६(ब्रह्मा के सारथि शाण्डिल्य ऋषि द्वारा स्थापित शाण्डिल्येश्वर का माहात्म्य), ७.१.३५८(शाण्डिल्य वापी का माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण १.४३४.३०(सहस्रानीक राजा का अपर नाम), १.४९२.३१(मार्कण्डेय का शाण्डिल्य से तादात्म्य?), १.५०१, १.५०९.२७(ब्रह्मा के सोमयाग में प्रतिहर्त्ता),१.५५९, १.५६४.२४(शाण्डिल्य - पत्नी सती सौदामिनी का वृत्तान्त), १.५७३.१६(राजा रविचन्द्र के पुरोहित शाण्डिल्य का उल्लेख ), ३.७४.६५, कथासरित् २.१.९, द्र. शण्ड shaandilya/ shandilya

श्वःसुत्या गौतमस्य। - - अद्यसुत्या शांडिल्यस्य लाट्यायन श्रौ.सू. १.४.१३-१५

 

 

शातातप स्कन्द १.२.६.११, ४.२.९७.१७३(शातातपेश लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ), लक्ष्मीनारायण १.२४७.८९, shaataatapa/ shatatapa

 

शान्त गरुड १.८७.२०(विभु इन्द्र का शत्रु, हंस रूपी विष्णु द्वारा वध), ब्रह्माण्ड १.२.१२.२९(प्रशान्त : ८ विहरणीय अग्नियों में द्वितीय, अन्य नाम प्रचेता), वराह ३६, विष्णु २.४.३शान्तहय, स्कन्द ४.२.९७.४८(उपशान्त लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण २.१४०.७९(शान्त प्रासाद के लक्षण ), २.२१७.१००शान्ताराम, ३.२३३.५०, द्र. वंश वसुगण shaanta/ shanta

 

शान्तनु द्र. शन्तनु

 

शान्ता गरुड ३.१६.७(अनिरुद्ध-भार्या), देवीभागवत १२.६.१४५(गायत्री सहस्रनामों में से एक), नारद २.४६.३३(भारद्वाज - माता, पुत्र को पिण्डदान के सम्बन्ध में प्रतिबोध), भविष्य १.३.१, स्कन्द ३.२.१७.१(शान्ता मातृका का रूप व माहात्म्य), वा.रामायण १.९+ (रोमपाद - पुत्री, ऋष्यशृङ्ग मुनि से विवाह ), लक्ष्मीनारायण ४.१०१.११५ shaantaa/ shantaa

 

शान्ति अग्नि ४३(प्रासाददेवतास्थापन के अन्तर्गत शिला में भूतादि की शान्ति), २९०(अश्व शान्ति विधि), २९१(गज शान्ति विधि), ३२१(अस्त्र शान्ति), ३२२(शान्ति हेतु पाशुपत मन्त्र जप का विधान), ३२४(कल्पाघोर रुद्र शान्ति का वर्णन), ३८२.७(ब्रह्मा के मत में परम शान्ति अभिन्न में भेद की प्रतीति का निवारण - अभिन्नयोर्भेदकरः प्रत्ययो यः परात्मनः । तच्छान्तिपरमं श्रेयो ब्रह्मोद्गीतमुदाहृतं ।।), गरुड १.२१.६(तत्पुरुष शिव की कलाओं में एक - ॐ हैं तत्पुरुषायैव निवृत्तिश्च प्रतिष्ठा च विद्या शान्तिर्न केवला ।।), १.८७.१२(स्वशान्ति : औत्तम मन्वन्तर में इन्द्र - इन्द्रः स्वशान्तिस्तच्छुक्रः प्रलम्बो नाम दानवः ॥ मत्स्यरूपी हरिर्विष्णुस्तं जघान च दानवम् ॥), गर्ग १.१६.२४(नर - नारायण की शक्ति शान्ति का उल्लेख), ५.१५.२(वही), देवीभागवत ९.१३.६३(शान्तिगोप्या युतस्त्वं च दृष्टोऽसि रासमण्डले ॥..ततस्तस्याः शरीरं च गुणश्रेष्ठं बभूव ह । संविभज्य त्वया दत्तं प्रेम्णा प्ररुदता पुरा ॥), ११.२४(उपद्रव शान्ति हेतु गायत्री जप - जलेन तर्पयेत्सूर्यं पाणिभ्यां शान्तिमाप्नुयात् । जानुदघ्ने जले जप्त्वा सर्वान्दोषाञ्छमं नयेत् ॥), नारद १.६६.८७(मधुसूदन की शक्ति - विष्णुस्तु धृतिसंयुक्तः शान्तियुङ्मधुसूदनः), १.६६.१२५(शिवोत्तम की शक्ति शान्ति का उल्लेख - विनायकस्तथा पुष्ट्या शान्तियुक्तः शिवोत्तमः। विघ्नकृत्स्वस्तिसंयुक्तो विघ्नहर्ता सरस्वती ), १.९१.६७(शिव के द्वितीय मुख की प्रथम कला – तत्पुरुषाय विद्महे), १.१२१.४८(राजा व राष्ट्र हेतु नीराजना शान्ति विधि), पद्म १.२०.९५(शान्ति व्रत की संक्षिप्त विधि व माहात्म्य ), २.१२.८४(शान्ति की मूर्त्ति का संक्षिप्त स्वरूप - दिव्यरत्नकृता शोभा दिव्याभरणभूषिता । तव शांतिर्महाप्राज्ञ ज्ञानरूपा समागता), ब्रह्मवैवर्त्त २.११.६४(शान्ति गोपी के शरीर से उत्पन्न भय गुण का विश्व में विभाजन - शान्त्या गोप्या युतस्त्वं च दृष्टो वै रासमण्डले ।।..शान्तिर्देहं परित्यज्य भिया लीना त्वयि प्रभो ।। ततस्तस्याः शरीरं च गुणश्रेष्ठं बभूव ह ।।), भविष्य १.१७६+ (ग्रह, मातृका, गरुड, सर्व देव शान्ति), १.१७९(विविध शान्तियां), २.१.१७.४(शान्ति कर्म में अग्नि का नाम वरुण - वरुणः शांतिके ज्ञेयो मारणे ह्यरुणः स्मृतः ।।), २.३.२०(विभिन्न उत्पातों की शान्ति), ४.३४(शान्ति व्रत में नागों का अङ्गन्यास), ४.१४१(नवग्रह शान्ति), ४.१४३(विविध उत्पातों की महाशान्ति), ४.१४४(गणनाथ शान्ति), भागवत ३.२४.२४(कर्दम - कन्या, अथर्वा – पत्नी - अथर्वणेऽददाच्छान्तिं यया यज्ञो वितन्यते ।), ४.१.४९(धर्म की १३ पत्नियों में से एक, पुत्रों के नाम),  मत्स्य ७३(शुक्र व बृहस्पति ग्रह की शान्ति), ९३(नवग्रह शान्ति), २२८(अद्भुतों/उत्पातों की शान्ति), २३२(वृक्ष उत्पात शान्ति), २३३(वृष्टि उत्पात की शान्ति), २३४(जलाशय विकृति की शान्ति), २३५(प्रसव विकार की शान्ति), २३६(उपस्कर विकृति की शान्ति), २३७(पशु - पक्षी उत्पात की शान्ति), २३८(राजा की मृत्यु, देश विनाश पर शान्ति), २६८(वास्तु शान्ति), मार्कण्डेय ५१.५१(कलहा की शान्ति - कलहा कलहं गेहे करोत्यविरतं नृणाम्॥ कुटुम्बनाशहेतुः सा तत्प्रशान्तिं निशामय ।), ९९.१६(ऋचस्तपन्ति पूर्वाह्णे मध्याह्ने च यजूंषि वै । सामानि चापराह्णे वै तपन्ति मुनिसत्तम ।..), ९६.२७(भूति - शिष्य, अग्नि के बुझने पर स्तुति द्वारा अग्नि को पुन: प्रज्वलित करना), १००, वराह ६०(शान्ति व्रत), १९२, विष्णुधर्मोत्तर १.१८५(दशम मन्वन्तर में इन्द्र), २.४४(गौ कर्म  शान्ति), २.४७(अश्व शान्ति), २.५०(गज शान्ति), २.१२७(शान्ति के प्रकार व शान्ति विधि), २.१३२(शान्ति कर्म के आथर्वण प्रकार, वर्ण), २.१३३(अद्भुतों के प्रकारों में से एक), २.१३५(विकार शान्ति), २.१४४(उत्पातों की शान्ति), २.१५९(नीराजन शान्ति), २.१६१(घृतकम्बल नामक शान्ति), स्कन्द २.१.८.४(शान्ति देवी द्वारा श्रीनिवास को मृगमद प्रस्तुत करने का उल्लेख), २.२.२८(लक्ष्मी - नृसिंह शान्ति), योगवासिष्ठ ६.२.४९, लक्ष्मीनारायण १.३५६.१६(स स्वदेहस्य शुद्ध्यर्थं कुर्यादेकमुपोषणम् ।..तिलहोमं प्रकुर्वीत शान्तिमन्त्रान् पठन् द्विजः ।), १.३५६.१४२(श्राद्धादेः कर्मणश्चान्ते शान्तिपाठं प्रकारयेत् ।..), २.२४६.७८( ज्ञानस्योपनिषच्छान्तिः शान्तेश्चोपनिषत् सुखम् । सुखस्योपनिषत् तृप्तिस्तृप्तेश्चोपनिषत् त्यजिः ।।), ३.३०.४७(शान्ति के ३ साधनों तृप्ति, विराग, ऐश्वर्य का उल्लेख - तृप्तिर्विराग ऐश्वर्यं त्रेधा शान्तेः प्रसाधनम् । धर्मः क्षमा तितिक्षा च त्रेधा सुखस्य साधनम् ।। ), ३.१३३.५७ (मातस्त्वं पृथ्वीरूपा धेनुः कृष्णस्य वत्सला । पुण्या पापहरा मेऽस्तु नित्यां शान्तिं प्रयच्छ मे ।।,.. ग्रह शान्ति), ३.१५८.११(भूति – शिष्य - शान्तिधर्माभिधं चाह गच्छामि चाग्रजाऽध्वरम् । प्रति जागरणं वह्नेस्त्वया कार्यं ममाश्रमे ।।), कथासरित् ४.१.१०७शान्तिकर, ४.१.१३१शान्तिसोम, ६.८.११६शान्तिसोम, १२.८.३९शान्तिशील shaanti/ shanti

 References on Shanti 

शामित्र मत्स्य ५१.२१(हव्यसूद असम्मृज्य अग्नि का नाम), वायु २.६(सत्र यज्ञ में मृत्यु के शामित्र बनने का उल्लेख ) shaamitra/ shamitra

 

शाम्बरायणि विष्णुधर्मोत्तर १.१७५+ (शाम्बरायणि द्वारा मन्वन्तरों में शक्र चरित का कथन),

 

शाम्भवी देवीभागवत ३.२६(आठ वर्षीया कन्या का नाम), स्कन्द ७.१.७(तृतीय कल्प में पार्वती का नाम ) shaambhavee/ shambhavi

 

शारद विष्णुधर्मोत्तर ३.१८.१

 

शारदा गणेश २.१.२४(रौद्रकेतु - पत्नी, देवान्तक व नरान्तक - माता), २.६२.१(रौद्रकेतु - भार्या, नरान्तक व देवान्तक - माता, नरान्तक का कटा शिर देखकर विलाप), देवीभागवत १२.६.१४५(गायत्री सहस्रनामों में से एक), भविष्य ३.३.१०.५५(शारदा देवी द्वारा मृगी का रूप धारण, कृष्णांश उदयसिंह द्वारा ताडन, वरदान), ३.३.२५.३(शारदानन्द : विश्वक्सेन - पुत्र, ब्रह्मचारी, पृथिवी पर कामपाल नामक राजा रूप में जन्म), ३.३.२७.६८, ३.४.१३.२, स्कन्द ३.३.१८(वेदरथ - पुत्री, पद्मनाभ - पत्नी, नैध्रुव ऋषि की प्रेरणा से वैधव्य समाप्ति हेतु उमा महेश्वर व्रत का अनुष्ठान), ३.३.१९(पूर्व जन्म में भामिनी नामक द्विज - भार्या, दुष्ट चरित्र से वैधव्य प्राप्ति), ३.३.१९(शारदा द्वारा स्वप्न में पुरुष से योग द्वारा पुत्र प्राप्ति, पति से मिलन, शिव लोक गमन), लक्ष्मीनारायण १.३८५.४१(शारदा का कार्य), २.१४.३३, २.२९७.८८, ३.६२.३०(सरस्वती द्वारा ब्रह्मा - पुत्री तथा स्वभगिनी मूक शारदा के मूकत्व के निराकरण का कथन ), ३.१३८.५६, shaaradaa/ sharadaa

 

शारिकाकूट कथासरित् १२.६.१११

 

शार्ङ्ग नारद १.६६.९२(शार्ङ्गी की शक्ति प्रभा का उल्लेख), विष्णु १.२२.७१(विष्णु द्वारा भूतादि व इन्द्रियादि अहंकार-द्वय को शंख व शार्ङ्ग धनुष रूप में धारण करने का उल्लेख) विष्णुधर्मोत्तर १.२३७.७(शार्ङ्गी से ऊरु की रक्षा की प्रार्थना), गोपालोत्तरतापिन्युपनिषद १७(आद्या माया के शार्ङ्ग होने का उल्लेख ) shaarnga/ sharnga

 

शार्ङ्गधर गणेश १.७४.९(सारङ्गधर - पुत्री सुन्दरी का वृत्तान्त ), लक्ष्मीनारायण २.२६४.४(शूद्र द्वारा शृङ्गमृग का वेधन, जन्मान्तर में मूक विप्र बालक रूप में जन्म लेकर तप द्वारा मूकता का निवारण तथा शार्ङ्गधर नामक ओषधि विज्ञान ज्ञाता बनना), ४.१०१.८४(कृष्ण-भार्या सरस्वती के पुत्र शार्ङ्गधर व सुता कौमुदी का उल्लेख), ४.१०१.१२८(कृष्ण-भार्या मोघवती के पुत्र शार्ङ्गधर व सुता तलायना का उल्लेख), shaarngadhara/ sharngadhara

 

शार्दूल गणेश २.११४.१६(सिन्धु व गणेश के युद्ध में चपल का शार्दूल से युद्ध), ब्रह्म २.५८(शार्दूल दैत्य द्वारा अग्नि - पुत्री व धर्म की पत्नी सुवर्णा का हरण, विष्णु द्वारा चक्र से वध), भविष्य ३.२.१६(शार्दूल द्वारा गौ को त्रास, चन्द्रशेखर राजा द्वारा शार्दूल का वध, शार्दूल का मुकुल दैत्य में रूपान्तरण), वा.रामायण ६.२०(रावण के गुप्तचर शार्दूल द्वारा राम सेना के बारे में रावण को परामर्श), ६.२९.२७(वानरों द्वारा शार्दूल का ताडन), ६.३०(शार्दूल द्वारा रावण को राम के वानर सेनानियों का परिचय), लक्ष्मीनारायण २.६६.७१(अर्कपुरी का राजा, धर्मसुमन्तु विप्र के शाप से मृत्यु - पश्चात् सर्प बनना, सर्प के उद्धार की कथा ), ३.८.९८, shaardoola/shaarduula/ shardula

 

शाल नारद २.२७.९३, २.२७.११७, मत्स्य १०, वामन ९०शालोदर, ९०.३२(शालवन में विष्णु का भीम नाम), स्कन्द ४.१.२९.१६०(शालिनी : गङ्गा सहस्रनामों में से एक ), ५.३.२१२, ७.४.१७.२१, योगवासिष्ठ ६.२.१६८शालभञ्जिका, लक्ष्मीनारायण १.३४०, २.९७.६६शालवनायन, ४.५३, द्र. महाशाल, वर्णिशाल, विशाल shaala/ shala

 

शालकटङ्कटा वामन १५, स्कन्द ४.२.५७.७१(शालकटङ्कट गण का संक्षिप्त माहात्म्य), ७.१.१६८(शालकटङ्कटा देवी का माहात्म्य ), द्र. सालकटङ्कटा shaalakatankataa/ shalakatankataa

 

शालग्राम भविष्य २.२.८.१२६(शालग्राम में महाचैत्री पूर्णिमा के विशेष फल का उल्लेख), स्कन्द ६.२४३.६६(शालग्राम शिला के संवत्सर व ग्रावा रूप का कथन), लक्ष्मीनारायण ३.२२.३५(नृमेध में श्रीहरि के वृषणों का शालग्राम होने का कथन), ३.२२.९७(नृमेध में शालग्राम शिलाओं की शान्ति हेतु लक्ष्मी के पिप्पल पत्र रूपी पीठ बनने का वर्णन ), द्र. शालिग्राम shaalagraama/ shalagrama

 

शालङ्कायन द्र. सालङ्कायन